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Hindi set A solution

  प्रारूप प्रश्न पत्र  2024

 अभ्यास प्रश्न पत्र (Set :- A) 2024
कक्षा 10वीं 
विषय - हिन्दी 

समय - 3घंटा                                पूर्णांक 75                                                                                                    निर्देश -

1. सभी प्रश्न करना अनिवार्य है |

2. प्रश्न क्र. 1 से 05 तक वस्तुनिष्ठ प्रश्न है | जिनके लिए 1×30 = 30 अंक निर्धारित है | 

3. प्रश्न क्र. 6 से 17 तक प्रत्येक प्रश्न 2 अंक  है | शब्द सीमा लगभग 30 शब्द है |

4. प्रश्न क्र. 18 से 20 तक प्रत्येक प्रश्न 3 अंक  है | शब्द सीमा लगभग 75 शब्द है |

5. प्रश्न क्र. 21 से 23 तक प्रत्येक प्रश्न 4 अंक  है | शब्द सीमा लगभग 120 शब्द है |

6. प्रश्न क्र . 06 से 23 तक सभी प्रश्नों आंतरिक विकल्प दिए गए है


1 सही विकल्प का चयन कर लिखिए - (1x6-6)

  i . काव्य की दृष्टि से रीतिकाल को बाँटा गया है -

(अ) दो भागों में (ब) तीन भागों में (स) चार भागों में (द) सात भागों में

उत्त्तर :- (ब) तीन भागों में

  ii. सूर के पदों में 'तेल की गागरी कहा गया है- 

(अ) श्रीकृष्ण को (ब) उद्भव को (स) गोपियों को (द) सूर को

उत्त्तर :- (ब) उध्दव को

iii. चरणों में निहित मात्राओं के आधार पर दोहा है

(अ) सममात्रिक छंद (ब) विषममात्रिक छंद (स) अर्द्ध मात्रिक छंद (द) अर्द्धसममात्रिक छंद

उत्त्तर (स) अर्ध्द मात्रिक छंद

iv. 'नेताजी का चश्मा कहानी का मूलभाव है।

(अ) शिक्षा का विकास (ब) समाज सुधार (स) मूर्ति कला का विकास (द) देशभक्ति की भावना 

उत्त्तर :- (द) देशभक्ति की भावना


v. वह धीरे-धीरे रोने लगा वाक्य में क्रियाविशेषण का भेद है-

(अ) कालवाचक क्रियाविशेषण (ब) स्थानवाचक क्रियाविशेषण

(स) रीतिवाचक क्रियाविशेषण (द) परिमाणवाचक क्रियाविशेषण 

उत्त्तर :- (स) रितिवाचक क्रियाविशेषण

vi. भोलानाथ और उनके हम उम्र चबूतरे के एक कोने को बना देते थे— 

(अ) सिनेमाघर (ब) टिकटघर (स) रसोईघर (द) नाटकघर

उत्त्तर :- (द) नाटकघर 

2. रिक्त स्थान में सही शब्द का चयन कर लिखिए - (1x6-6)

I. परशुराम अपना गुरु, भगवान......को मानते थे। (शिव/ श्रीकृष्ण विष्णु) उत्त्तर :- शिव

ii.. आश्रय की बाह्य शारीरिक चेष्टाओं …….को कहते हैं। (विभाव/अनुभाव/आलम्बन) उत्त्तर :- अनुभाव

iii.  विस्तृत कलेवर वाले काव्य को कहते…..........है (दृश्य काव्य / खण्डकाव्य महाकाव्य) उत्त्तर :- महाकाव़्य

iv. बालगोबिन भगत की प्रभातियाँ…..तक चलती थी (कार्तिक मास/फागुन मास / चैत्र मास)  उत्त्तर :- फागुन मास

v…………………..वाक्य से किसी क्रिया के करने या होने की सामान्य सूचना मिलती है। (विधानवाचक/निषेधवाचक / इच्छावाचक) उत्त्तर :- विधानवाचक

vi. कटाओं में बर्फ से ढके पहाड़………......की  तरह चमक रहे थे। (चाँदी / सोने/ मोती)

उत्त्तर :- चाँदी 

3 सही जोड़ी बनाकर लिखिए - (1x6-

                   स्तम्भ (अ)                            स्तम्भ (ब)
    i.उत्साह कविता                       (क) तार सप्तक 
  ii. मानवीय क्रियाओं का आरोप|          (ख) वाचाल
  iii.रिपोर्ताज की भाषा                   (ग) सज्जन व्यक्ति
  iv. सफेद पोश                             (घ) एक आह्रान गीत
  V. जो कम बोलता हो              ड) मानवीकरण अलंकार
      VI अज्ञेय                                      (च) भद्रव्यक्ति
                                                                (छ) फ्रेंच 
                                                         (ज) मितभाषी 

4. एक वाक्य में उत्तर लिखिए - (1x6-6)

    i. फसल कविता हमें किसके करीब ले जाती है ?

उत्त्तर :- यह कविता हमें किसान और कृषि संस्कृति के करीब ले जाती हैं |

    ii.विभाव के भेदों के नाम लिखिए ?

उत्त्तर :- विभाव के दो भेग होते हैं -

1. आलंबन

2. उद्दीपन

   ii. शास्त्रों में काशी किस नाम से प्रतिष्ठित है ?

उत्त्तर :- शास्त्रों में काशी आनंदकानन नाम से प्रसिध्द है |

   iv. किस समास में प्रथम पद प्रधान एवं अव्यय होता है ?

उत्त्तर :- अव्ययी भाव समास

    v. अपना हाथ जगन्नाथ लोकोक्ति का क्या अर्थ है ?

उत्त्तर :- स्वयं का काम स्वयं करना अच्छा होता है |

   vi. भोलानाथ के पिता फूल के कटोरे में उसे क्या सानकर खिलाते थे ?

उत्त्तर :- भोलानाथ के पिताजी उसे अपने हाथ से , फूल ( एक धातु ) के एक कटोरे में गोरस ( दूध) और भात सानकर भी खिलाते थे |


5. सत्य / असत्य कथन लिखिए -    (1x6-6)

     i. मुख्य गायक की आवाज़ भारी व गंभीर होती है। 

उत्त्तर - सत्य

    ii.दोहा और चौपाई वर्णिक छंद है।

उत्त्तर - असत्य

   iii.मानव संस्कृति एक अविभाज्य वस्तु है।

उत्त्तर :- सत्य

   iv. दो वर्णों के मेल को संधि कहते हैं।

उत्त्तर :- सत्य

    v. रंगीन पताकाएँ शांति और अहिंसा का प्रतीक हैं।

उत्त्तर:- सत्य

   vi. पढ़कर ही लेखक आभ्यंतर विवशता को पहचानता है।

उत्त्तर :- असत्य

6. रीतिकाल को श्रृंगार काल क्यों कहा जाता है ? रीतिकाल किसी एक कवि का नाम लिखिए | (2)

उत्त्तर :-नायक और नायिका के सौंदर्य व प्रेम पर आधारित श्रृंगार परक रचनाएँ रीतिकाल के कवियों की प्रमुख विशेषता रही है | इसी कारण रीतिकाल को श्रृंगार काल कहा जाता है |

रीतिकाल के प्रमुख कवियों में केशवदास ,कवि बिहारी ,मतिराम ,भिखारीदास ,चिंतामणि,घनानंद आदि के नाम प्रमुख हैं |


अथवा 

नई कविता की कोई - दो विशेषताएँ लिखिए ?

उत्त्तर :- नई कविता की विशेषताएँ

1. लघु मानव की प्रधानता - नई कविता में मानव जीवन को विशेष महत्व दिया गया है |

2. क्षणवाद की प्रधानता :- नई कविता में मनुष्य के जीवन के प्रत्येक क्षण को महत्व दिया गया है |


7. तुलसीदास अथवा नागार्जुन की काव्यगत विशेषताएँ निम्नलिखित बिन्दुओं के आधार पर लिखिए - (2)

i. दो रचनाएँ         ii. कला - पक्ष


उत्त्तर :- तुलसीदास

(i) दो रचनाएँ -
                 (i) रामचरित मानस 
                  (ii) दोहावली 
                 (iii) कविता वली 
                   (iv) विनय पत्रिका 
(ii) कला - पक्ष -   कला पक्ष तुलसी ने अपने समय में प्रचलित अवधी और ब्रज-भाषा को अपनाया। यद्यपि उन्होंने संस्कृत शब्दों का प्रचुरता से प्रयोग किया है तथापि कहीं भी वह बोझिल अथवा दुलह नहीं हो पाई। अलंकारों एवं रसों के सहज प्रयोग से रचनाएं प्रभावोत्पादक बन गई है। छन्द योजना में दोहा, चौपाई, कवित्त, सवैया आदि का प्रयोग किया है।


                                  नागार्जुन   

( i). दो रचनाएं - सतरंगे पंखों वाली, प्यासी पथराई आँखे,

युगधारा

(ii) कला पक्ष- इनकी बोली सामान्य बोलचाल की खड़ी बोली है। काव्य विषय इनके प्रतीको के माध्यम से स्पष्ट उभरकर आते है। इन्होंने दोनों ही प्रकार की छन्द बद्ध एवं छन्द मुक्त रचनाएं की है


8. गोपियों ने उध्दव से योग की शिक्षा कैसे लोगों को देने की बात कही है ? (2)

उत्तर- गोपियों ने उद्धव से योग की शिक्षा चंचल मन वाले लोगों को देने की बात कही है। जिनका मन कभी कहीं और कभी कहीं रहता हो उन्हें योग की शिक्षा दी जानी चाहिए जिससे उनकी चंचलता समाप्त हो सके। गोपियाँ कहती हैं कि हमारा मन तो श्रीकृष्ण के प्रेम में एकनिष्ठ है, वह चंचल नहीं है। इसलिए हमारे लिए योग व्यर्थ है।

अथवा 

'राम- लक्ष्मण-परशुराम संवाद' पाठ के आधार पर राम के स्वभाव की दो विशेषताएँ लिखिए ?

उत्त्तर :-

(1) राम स्वभाव से कोमल और विनयी हैं। 

(2) उनके मन में बड़ों के प्रति श्रद्धा और आदर है।

 (3) वे गुरुजनों के सामने झुकना अपना धर्म समझते हैं। 

 (4 ) वे महाक्रोधी परशुराम के क्रुद्ध होने पर भी स्वयं को उनका दास कहते हैं।


9. फागुन में ऐसा क्या होता है जो बाकी ॠतुओं से भिन्न होता है ? (2)

उत्तर- फाल्गुन में वसंत ऋतु आती है। इस समय पेड़-पौधे हरे लाल पत्तों, रंग-बिरंगे फूलों से लदे होते हैं। चारों ओर भीनी -भीनी सुगन्धित हवा चलती है। न सर्दी होती है न गर्मी, मौसम मनोहर होता है। पक्षी चहचहाते रहते हैं। यह ऋतु ऋतुओं की राजा मानी गई है। इतना सुहावना तथा मनोहर वातावरण अन्य किसी ऋतु में नहीं होता है। इसीलिए फाल्गुन अन्य ऋतुओं से भिन्न होता है।

अथवा 

कवि नागार्जुन के अनुसार फसल क्या है ?

उत्तर - कवि के अनुसार फसल नदियों के पानी का जादू है, किसानों के हाथों की महिमा है, भूरी, काली, संदली मिट्टी का गुणधर्म है, सूर्य की किरणों का रूप परिवर्तन है तथा हवा की थिरकन का सिमटा हुआ संकोच है।


10. खण्डकाव्य की कोई - दो विशेषताएँ लिखिए ?(2)

उत्तर- खण्डकाव्य की विशेषताएँ -

(1) खण्डकाव्य में जीवन के एक खण्ड या पक्ष का चित्रण होता है।

(2) खण्डकाव्य में प्रधानतः एक घटना को ही उभारा जाता है। (3) खण्डकाव्य में एक रस की ही प्रधानता रहती है। (4) सीमित कलेवर में यह पूर्ण होता है।


अथवा 

स्थायी भाव एवं संचारी भाव में कोई दो अंतर लिखिए | 



11. चौपाई छंद की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए।(2)

उत्त्तर - चौपाई  छंद :- चौपाई एक सममात्रिक छंद है  | इसके प्रत्येक चरण में 16 मात्राएँ होती हैं |

अथवा

अतिशयोक्ति अलंकार की परिभाषा उदहरण सहित लिखिए।

उत्त्तर :- अतिशयोक्ति अलंकार :- जहाँ कोई बात आवश्यकता से अधिक बढ़ा - चढ़ाकर कही जाये , वहाँ अतिशयोक्ति अंलकार होता है ;

उदाहरण —

" हनुमान की पूँछ में, लगन न पाई आग |

लंका सारी जरि गई ,गये निसाचर भाग ||"

यहाँ बात को बढ़ा - चढ़ाकर वर्णन हुआ है | अत: अतिशयोक्ति अलंकार है |


12. आचार्य रामचंद्र शुक्ल के अनुसार निबन्ध की परिभाषा लिखते हुए आपके पाठ्यक्रम में सम्मिलित किसी एक निबन्ध रचना का नाम लिखिए।          (2)

उत्तर - आचार्य रामचंद्र शुक्ल के अनुसार निबन्ध की परिभाषा





अथवा

कहानी एवं उपन्यास में कोई दो अंतर लिखिए।

उत्तर - कहानी और उपन्यास में अंतर

कहानी 

उपन्यास

1.कहानी को पढ़ने में कम समय लगता है | 

1.उपन्यास को पढ़ने में ज्यादा समय लगता है | 

2कहानी का क्षेत्र सीमित होता है

2. उपन्यास का क्षेत्र व्यापक होता है|

3.कहानी में पात्रों की संख्या कम होती है | 

3.उपन्यास में पात्रों की संख्या अधिक होती है |



13. स्वयं प्रकाश अथवा मन्नू भंडारी की साहित्यिक विशेषताएँ निम्नलिखित बिन्दुओं के आधार पर लिखिए-(2)

I . दो रचनाएँ        ii. भाषा-शैली

उत्त्तर - स्वयं प्रकाश

(i) दो रचनाएँ :-

(i) सूरज कब निकलेगा

(ii) जलते जहाज पर (iii) छोटू उस्ताद

(IV) आएँगे अच्छे दिन भी


ii. भाषा-शैली-

भाषा- लोक जीवन से जुड़े रहे स्वयं प्रकाश की भाषा भी लोक प्रचलित व्यावहारिक है। ये सहज, सरल, सुस्पष्ट भाषा का प्रयोग करते हैं। इनकी भाषा आडम्बर तथा बनावटीपन से दूर जनसाधारण की भाषा है। शैली -

(1) भावात्मक शैली-भाव प्रधान अंशों में इस शैली का प्रयोग किया गया है।

(2) वर्णनात्मक शैली-किसी घटना, वस्तु या व्यक्ति के वर्णन में यह शैली प्रयोग की गई है। (3) चित्रात्मक शैली-इस शैली में पात्र, घटना या स्थिति का शब्दों के माध्यम से चित्रण किया गया है।

अथवा

मन्नू भंडारी

(i) दो रचनाएँ :-

(1) मै हार चुकी

(2)' यही सच है '

(3) महाभोज (4) बिना दिवारों का घर


(ii) भाषा-शैली-

भाषा- मन्नू भंडारी ने बोलचाल की व्यावहारिक भाषा में साहित्य रचना की है। आपने आवश्यकता के अनुसार तत्सम तद्भव, देशज तथा विदेशी शब्दों का प्रयोग किया है। आप लोकोक्ति व मुहावरों का स्वाभाविक प्रयोग भी करती हैं। आपकी भाषा में सम्प्रेषण की अद्भुत क्षमता है। विषय के अनुरूप आपकी भाषा भी बदलती जाती है। शैली -

(1) भावात्मक शैली-भावात्मक स्थलों पर यह शैली अपनाई गई जिससे भाषा सरस, सरल तथा आलंकारिक हो गई है। (2) वर्णनात्मक शैली- किसी घटना, स्थान, वस्तु या व्यक्ति सम्बन्धी वर्णनों में यह शैली प्रयोग की गई है। (3) संस्मरणात्मक शैली-अतीत को याद करने वाले संदर्भों में यह शैली प्रयोग की गई है।

(4) संवाद शैली - संवाद शैली के कारण आपके उपन्यासों, कहानियों में सजीवता आ गई है।

(5) व्यंग्यात्मक शैली - मन्नू जी ने अपनी रचनाओं में स्वाभाविक विषमताओं, रूढ़ियों, नारी शोषण पर तीखे व्यंग्य किए हैं।






14. सेनानी न होते हुए भी चश्मे वाले को लोग कैप्टन क्यों कहते थे ?(2)

उत्तर- देश-प्रेम के भाव से भरे कैप्टन चश्मे वाले के मन में देश पर बलिदान होने वालों के प्रति सम्मान का भाव है। सुभाष चन्द्र बोस के प्रति उसमें श्रद्धा है। इसीलिए वह उनकी प्रतिमा पर चश्मा लगाता है। उसके मन में देश के प्रति फौजियों जैसा ही भाव है इसीलिए उसे लोग कैप्टन कहते थे।


अथवा

बालगोबिन भगत ने अपने बेटे की मृत्यु पर अपनी भावनाएं किस तरह व्यक्त की? लिखिए।

उत्तर - बालगोबिन भगत ने अपने बेटे के शव को सफेद कपड़े से ढक दिया उस पर फूल तथा तुलसी दल बिखेर दिए। स्वयं उसके पास आसन जमाकर गाने बैठ गए। वे तल्लीनता से कबीर के पदों को गाने लगे। उनके अनुसार मृत्यु के बाद जीवात्मा अपने प्रेमी परमात्मा से जा मिलती है। इसलिए मृत्यु उत्सव, आनन्द का समय है, रोने का नहीं। वे अपनी पुत्रवधू को भी उत्सव मनाने के लिए कहते हैं।


15. बिस्मिल्ला खाँ को शहनाई की मंगलध्वनि का नायक क्यों कहा गया है ?(2)


उत्तर - शहनाई मांगलिक अवसरों पर बजाई जाती है। इसीलिए इसे मंगलध्वनि अर्थात् वह ध्वनि जो मंगलकारी हो, कहा जाता है। यह ध्वनि प्रातःकाल मंगला आरती के समय भी बजाई जाती है। बिस्मिल्ला खाँ जीवन भर शहनाई की साधना में ही लगे रहे। उन्होंने शहनाई को फूँक से बजाए जाने वाले सुषिर वाद्यों का सरताज बना दिया। शहनाई वादन की उत्कृष्टता के कारण ही बिस्मिल्ला खाँ को भारतरत्न की उपाधि से नवाजा गया। उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ हर मंगलकारी अवसर पर शहनाई बजाते थे। उन्होंने इसी कारण भारत का सर्वोत्कृष्ट सम्मान प्राप्त किया। इसीलिए उन्हें मंगलध्वनि का नायक कहा जाता है।


अथवा


वास्तविक अर्थों में संस्कृत व्यक्ति किसे कहा जा सकता है ? 

उत्तर- अपने विवेक द्वारा जो व्यक्ति किसी नए तथ्य के दर्शन करता है, नयी खोज करता है, वही वास्तविक अर्थों में संस्कृत व्यक्ति है। वह व्यक्ति किसी-न-किसी उपयोगी आविष्कार के लिए प्रयत्न करता ही रहता है। उसकी सन्तान जिसे बिना किसी प्रयास के यह वस्तु प्राप्त हो गई वह सभ्य तो कही जा सकती है किन्तु संस्कृत नहीं । वास्तविक संस्कृत तो आविष्कार करने वाला ही होता है।


16. निमलिखित वाक्यांश के लिए एक शब्द लिखिए-        (2)

1. दो भाषाएँ बोलने वाला।

उत्त्तर - व्दिभाषी

1. जिसका वर्णन न किया जा सके।

उत्त्तर :- अवर्णनीय

    अथवा


निम्नलिखित  मुहावरों का अर्थ लिखते हुए वाक्य में प्रयोग कीजिए-

i) खून पसीना एक करना

उत्त्तर :- खून - पसीना एक करना - कड़ी मेहनत करना |

प्रयोग — किसान खून - पसीना एक करके जनता का पेट भरता है |

गागर में सागर भरना

उत्त्तर - गागर में सागर भरना - थोेड़े में बहुत बात कहना |

प्रयोग - बिहारी ने अपने दोहों में गागर में सागर भर दिया है |




17. बच्चें माता- पिता के प्रति अपने प्रेम को कैसे अभिव्यक्त करते हैं ? लिखिए (2)

उत्तर- बच्चों का माता-पिता के प्रति होने वाला प्रेम विविध प्रकार से अभिव्यक्त होता है। बच्चे माता-पिता के साथ बात करके, इनके गालों को चूमकर, उनके साथ खेलकर, उनके साथ घूमने जाकर, अटकन-बटकन खेलकर, कहानी सुनाकर, मीठे स्वर में गीत गाकर तथा तोतली भाषा में बातें करके माता- -पिता के प्रति होने वाले अपने प्रेम को व्यक्त करते हैं। बच्चे माता-पिता पर अपना अधिकार मानते हैं इसलिए वे अपनी हर माँग उन्हीं से करते हैं। अपनी इच्छाओं की पूर्ति भी उन्हीं से कराते हैं। इस प्रकार माँग में उनका विरोध नहीं प्रेम भाव होता है।


अथवा

गंतोक को मेहनतकश बादशाहों का शहर क्यों कहा गया है।

उत्त्तर :- गंतोक के लोगों की मेहनत ही थी कि गंतोक आज भी अपने पुराने स्वरूप को कायम रखे हुए है। उनका अथक प्रयास ही उनकी प्रकृति की धरोहर को संजोय हुए है। यहाँ जीवन बेहद कठिन है पर यहाँ के लोगों ने इन कठिनाईयों के बावजूद भी शहर के हर पल को खुबसूरत बना दिया है। इसलिए लेखिका ने इसे 'मेहनतकश बादशाहों का शहर' कहा है।

या

मेहनतकश का अर्थ है- कठिन परिश्रम करने वाले 'बादशाह' का अर्थ अपनी मर्जी के मालिक । गतोक एक पर्वतीय स्थल है। पर्वतीय क्षेत्र होने के नाते यहाँ परिस्थितियां बहुत कठिन है। अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए लोगों को कठिन परिश्रम करना पड़ता है। यहाँ के लोग इस परिश्रम से घबराते नही और ऐसी कठिनाइयों के बीच भी मस्त और प्रसन्न रहते है। इसलिए गतोक को मेहनतकश बादशाहों का शहर " कहा गया है।



 18. निम्नलिखित काव्यांश का संदर्भ प्रसंग सहित भावार्थ लिखिए- (3) 

ऊधौ,तुम हो अति बड़भागी।

अपरस रहत सनेह तगा तें नाहिन मन अनुरागी ।

पुरइनि पात रहत जल भीतर, ता रस देह न दागी।

 ज्यों जल माह तेल की गागरि, बूँद न ताको लागी ।


संदर्भ - प्रस्तुत पद हमारी पाठ्यपुस्तक 'क्षितिज' के पाठ 'पद' से लिया गया है। इसके रचयिता 'सूरदास' हैं। प्रसंग- प्रस्तुत पद में गोपियाँ उद्धव को व्यंग्य के माध्यम से यह जताना चाह रही हैं कि तुमने कभी प्रेम किया नहीं है इसलिए तुम हमारे प्रेम की अनुभूति नहीं कर सकते हो। भावार्थ- गोपियाँ उद्धव पर व्यंग्य करते हुए कहती हैं कि हे उद्धव! तुम बहुत बड़े भाग्यवान हो जो तुम अभी तक प्रेम के बंधन में बंधने से अछूते रह गए। तात्पर्य यह है कि तुम बड़े अभागे जो तुम्हारा मन कृष्ण के प्रेम में लिप्त नहीं हो पाया जिस प्रकार कमल का पत्ता जल के भीतर रहता है लेकिन उस पर पानी का दाग जरा भी नहीं लग पाता। जैसे जल में तेल से भरी गगरी रहती है तो उस पर पानी की एक बूँद भी नहीं टिकती पाती। उसी प्रकार कृष्ण के साथ रहते हुए भी तुम उनके प्रेम से अछूते रहे हो। तुमने प्रेम की नदी में पाँव तक डुबाया नहीं और न ही तुम्हारी दृष्टि कृष्ण के सौन्दर्य रूपी पराग पर मुग्ध हो पाई। आशय यह है कि तुम अपनी चतुराई के कारण प्रेम के संबंध में कुछ नहीं जानते। परंतु हम तो अबलाएँ और इनती भोली है कि कृष्ण के प्रेम में उसी तरह लिप्त हो गई जिस तरह चींटी गुड़ में लिपट जाती है


                                अथवा 

मधुप गुनगुना कर कह जाता कोन कहानी यह अपनी,

मुरझाकर गिर रहीं पत्तियाँ देखो कितनी आज घनी । 

इस गंभीर अनंत नीलिमा में असंख्य जीवन इतिहास, 

 यह लो, करते ही रहते हैं अपना व्यंग्य - मलिन उपहास |

(3)
उत्त्तर :-
संदर्भ-प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक के 'आत्मकथ्य' पाठ से लिया गया है। इसके कवि जयशंकर प्रसाद हैं। प्रसंग- इसमें बताया गया है कि इस संसार में अनेक दुःखी करने वाली घटनाएँ हुई हैं उन्हें आत्मकथा में लिखना उचित नहीं है। भावार्थ - कवि प्रसाद कहते हैं कि भारे गुंजार करके पता नहीं अपनी कौन-सी दुःखपूर्ण कथा सुनाना चाहते हैं। आज पता नहीं कितनी पत्तियाँ सूखकर डालियों से गिर रही हैं। इस असीमित नीले आसमान के नीचे कितने ही दुखद वृत्तान्त लिखे गए हैं, उन लिखने वालों का लोगों ने मजाक ही बनाया है। क्या तुम यह सब जानने पर भी मुझसे अपनी दुर्बलताओं का वर्णन आत्मकथा में करने को कहते हो। मेरी खाली गगरी जैसी जिन्दगी की आत्मकथा को पढ़कर क्या तुम सुखी होंगे।



19. निम्नलिखित गद्यांश की संदर्भ-प्रसंग सहित व्याख्या लिखिए- 

बालगोबिन भगत की संगीत साधना का चरम उत्कर्ष उस दिन देखा गया जिस दिन उनका बेटा मरा | इकलौता बेटा था वह कुछ सुस्त और बोदा-सा था, किन्तु इसी कारण बालगोबिन भगत उसे और भी मानते। उनकी समझ से ऐसे आदमियों पर ही ज्यादा नजर रखनी चाहिए या प्यार करना चाहिए क्योंकि ये निगरानी और मुहब्बत के ज्यादा हकदार होते हैं।

उत्त्तर :-

संदर्भ - यह गद्यांश हमारी पाठय - पुस्तक के बालगोबिन भगत' पाठ से लिया गया है | इसके लेखक रामवृक्ष बेनीपुरी हैं |

प्रसंग- इसमें बालगोबिन भगत के मानवीय रूप का अंकन किया है।


व्याख्या - संगीत के प्रति गहरा लगाव रखने वाले बालगोबिन भगत की संगीत साधना का सबसे उत्कृष्ट रूप उस दिन देखने को मिला जिस दिन उनके पुत्र की मृत्यु हुई। वह उनका अकेला बेटा था। वह दिमाग से कमजोर तथा निर्बल था। बालगोबिन भगत मानते थे कि इस तरह के लोगों का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए। ऐसे लोग अधिक देखभाल तथा सहायता के अधिकारी होते हैं। ये अपनी देखभाल नहीं कर पाते हैं इसलिए दूसरों को इनकी हिफाजत का ध्यान रखना जरूरी होता है। विशेष - (1) बालगोबिन भगत के चरित्र का महत्वपूर्ण पक्ष उजागर हुआ है। (2) वर्णनात्मक शैली तथा व्यावहारिक भाषा का प्रयोग किया गया है।


अथवा

काशी में संगीत आयोजन की एक परम्परा है। यह आयोजन पिछले कई बरसों से संकटमोचन मंदिर में होता आया है। यह मंदिर शहर के दक्षिण में लंका पर स्थित है व हनुमान जयंती के अवसर पर यहाँ पाँच दिनों तक शास्त्रीय एवं उपशास्त्रीय गायन वादन की उत्कृष्ट सभा होती है। इसमें बिस्मिल्ला खाँ अवश्य रहते हैं। अपने मजहब के प्रति अत्यधिक समर्पित उस्ताद बिस्मिला खाँ की अद्धा काशी विश्वनाथ जी के प्रति भी अपार है। 

उत्त्तर:-

संदर्भ- प्रस्तुत गद्यांश 'पाठ्य पुस्तक' 'क्षितिज' से लिया गया है। रचनाकार श्रीयतीन्द्र मिश्र हैं। प्रसंग- उक्त पंक्तियों में लेखक ने संगीत व शहनाई के सरताज बिस्मिल्ला खाँ के काशी-प्रेम व भारत रत्न से नवाजे गए व हुए अनेक मानद उपाधियों से अलंकृत खाँ साहब भविष्य में भी संगीत के नायक बने रहेंगे। इसी बात को उद्धृत करते लेखक कहते हैं कि- व्याख्या- काशी आनंदकानन है। काशी में अब भी संगीत की परम्परा बची हुई है। काशी आज भी संगीत के स्वर पर जागती है और उसकी थापों पर सोती है। बिस्मिल्ला खाँ कको नायाब हीरा इसलिए कहा गया है, क्योंकि वे एक अद्वितीय शहनाई वादक होने के साथ ही लय और सुर की तमीज सिखाने वाले उस्ताद भी थे। वे हमेशा से दो कौमों को एक होने तथा परस्पर भाईचारे के सात रहने की प्रेरणा देते रहे। उनकी सबसे बड़ी देन यही है कि उन्होंने संगीत को सम्पूर्णता व एकाधिकार से सीखने कीजिजीविका को अपने भीतर जीवित रखा।


20. 'मीठी बोली का महत्त्व विषय पर एक अनुच्छेद लिखिए।    (3)

उत्त्तर 'बोली' ही मनुष्य को किसी का अप्रिय अथवा प्रिय बनाती है यदि मनुष्य मीठी बोली बोले तो वह सबका प्रिय बन जाता है। जबकि अनेक गुण होते हुए भी यदि उसकी बोली में मिठास नहीं है तो उसे कोई पसन्द नहीं करता। इस तथ्य को कोयल और कौए के उदाहरण द्वारा भली प्रकार से समझा जा सकता है। दोनों देखने में समान होते हैं किंतु कौए की कर्कश आवाज और कोयल की मधुर बोली, दोनों की अलग-अलग पहचान बनाती है। इसलिए कौआ सबको अप्रिय और कोयल सबको प्रिय लगती है। वैसे भी कहा गया है कि भले ही किसी को गुड़ दो या न दो लेकिन गुड़ वाली बात तो करो। अर्थात् हम किसी को कुछ दे न दें किंतु उनसे मीठी बोली तो बोल सकते हैं। वास्तव में, व्यक्ति की बोली उसका अदृश्य आवरण होती है। बोली से बोलने वाले के चरित्र और संस्कारों का भी पता चलता है। मनुष्य अपनी मधुर बोली से शत्रु को भी अपना बना सकता है। ऐसा व्यक्ति समाज में बहुत आदर पाता है। विद्वानों व कवियों ने भी मधुर वचन को औषधि के समान कहा है। मधुर बोली से सनने वाले व बोलने वाले दोनों के मन को शान्ति मिलती है। इससे समाज में प्रेम व भाईचारे का वातावरण बनता है। अतः, सभी को अहंकार व क्रोध का त्याग करते हुए मीठी बोली बोलनी चाहिए। वैसे भी मीठा बोलने से जाता कुछ नहीं है अपितु प्राप्ति की आप सम्भावनाएँ बन जाती हैं।


अथवा

एक आदर्श विज्ञापन की कोई तीन विशेषताएँ लिखिए।

उत्त्तर :- एक आदर्श विज्ञापन की विशेषताएँ :—

(1) आकर्षक - विज्ञापन आकर्षक होना चाहिए जिसे देखते ही लोग वस्तु के प्रति आकर्षित हों |

2) स्पष्टता - - विज्ञापन की भाषा अथवा चित्रों का सुस्पष्ट होना आवश्यक हैै जिससे देखने वाले या पढ़ने वाले को विषय की स्पष्ट जानकारी मिल जाए |

3). मुख्य बात पर बल — विज्ञापन तैयार करते समय विज्ञापन की भाषा या चित्रों में वस्तु , उत्पाद या विषय की मुख्य बात पर बल पर दिया जाना चाहिए |

4) संक्षिप्तता — विज्ञापन का संक्षिप्त होना आवश्यक है | कम में अधिक प्रभाव डालने वाला विज्ञापन श्रेष्ठ होता है |


21. निम्नलिखित अपठित काव्यांश अथवा गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए- (4)



श्रम होता सबसे अमूल्य धन, सब जन खूब कमाते ।

सब अशंक रहते अभाव से, सब इच्छित सुख पाते || 

राजा प्रजा नहीं कुछ होता होते मात्र मनुज ही।

भाग्य-लेख होता न मनुज का होता कर्मठ भुज ही ॥

प्रश्न- (i) उपर्युक्त काव्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए। 

उत्त्तर — शीर्षक — ''श्रम की महत्ता '

(ii)  'राजा प्रजा नहीं कुछ होता से कवि का क्या आशय लिखिए।

-

उत्त्तर :-

(iii) उपर्युक्त काव्यांश का भावार्थ लिखिए।

उत्त्तर —


अथवा


कभी-कभी लक्ष्य बहुत दूर दिखाई देता है। संदेह होने लगता है कि इस लक्ष्य को प्राप्त कर लेंगे या नहीं। कई बार लक्ष्य प्राप्ति के लिए अनेक प्रयास करने पर भी असफलता मिलती है। इससे मन में निराशा का भाव जागृत हो जाता है। निराशा से प्रसन्नता और शांति नष्ट हो जाती है। आशा उत्साहित करती है। निराशा का भाव अकेले नहीं आता। उसके साथ हीनता की भावना का जन्म होता है। असुरक्षा का भाव आता है तनावों का बवंडर आ जाता है। मन उत्साहहीन हो जाता है। मन में निराशा को नहीं आशा को बसना चाहिए। जो लोग जीवन में आशावादी रहते हैं वही विपरीत परिस्थितियों में भी लक्ष्य प्राप्ति में सक्षम हो सकते हैं।


प्रश्न (i). उपर्युक्त गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए।

उत्त्तर —

(ii) निराशा का भाव क्यों जागृत होता है ?

उत्त्तर —


(iii) उपर्युक्त गद्यांश का सारांश लिखिए।

उत्त्तर —


22. अपने वार्ड में व्याप्त गंदगी को दूर करने के लिए नगरपालिका अधिकारी को आवेदन पत्र लिखिए।        (4)

उत्त्तर -

सेवा में,

श्रीमान् प्रशासक महोदय ,

नगर निगम ,छिन्दवाड़ा |

मान्यवर ,

सविनय निवेदन है कि गोलगंज की नालियों में नियमानुसार सफाई की उचित व्यवस्था न होने के कारण मच्छरों एवं मक्खियों का प्रकोप है | फलस्वरूप कॉलोनी के लोगों में बीमारी फैलने का भय है |

अत : आपसे प्रार्थना है कि नालियों की सफाई की उचित व् व्यस्था कराने एवं कीटनाशक दवाई के छिड़काव कारने की शीघ्र व्यवस्था करने की कृपा करें |

इसके लिए हम सब आपके आभारी रहेंगे |

भवदीय

मोहक शर्मा

21,उड़ान कॉलोनी ,छिन्दवाड़ा


   अथवा


प्रातः कालीन सैर के लाभ बताते हुए अपने छोटे भाई को पत्र लिखिए |



23. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर रूपरेखा सहित सारगर्भित निबंध लिखिए- (4)

(i) विद्यार्थी जीवन में नैतिक मूल्यों का महत्त्व 

(ii) पर्यावरण प्रदूषण में हमारी व्यक्तिगत भूमिका

(iii) स्वच्छ भारत अभियान

(iv) आजादी का अमृत महोत्सव

 (v) जल संरक्षण




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